ग़ज़ल
इरादा हो अगर पक्का सितारे तोड़ लाएँ हम
लड़ें ज़ज़्बा लिए दरिया अदब से मोड़ लाएँ हम/1
नहीं मुश्क़िल जहां में कुछ अगर हम ठान लेते हैं
बनें पत्थर अगर शीशा हठीला फोड़ लाएँ हम/2
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
हमारी जीत ही होगी अदा से होड़ लाएँ हम/3
किसी दिल की गुज़ारिश हो मुहब्बत से निभाते हैं
झुकाकर सिर सदा रिश्ते लचकते जोड़ लाएँ हम/4
समय ही है ये अच्छे को बुरा साबित करा देता
मगर परिणाम आख़िर में सही बेजोड़ लाएँ हम/5
किसी लाचार का दें साथ मानव धर्म अपना है
ये अच्छाई बसा दिल में रुहानी दौड़ लाएँ हम/6
मिलें ‘प्रीतम’ लिए चाहत सभी से हाल ये करलें
मुहब्बत से चलें जिसपर बना वो रोड़ लाएँ हम/7
आर. एस. ‘प्रीतम’