#ग़ज़ल :–
#ग़ज़ल :–
■ कोहराम हो गया…..!
【प्रणय प्रभात】
★ दिल का क़त्ले-आम हो गया।
अपना काम तमाम हो गया।।
★ कल तक सुर्खी में रहता था।
वो चेहरा गुमनाम हो गया।।
★ आलिम बस खादिम बन पाया।
पर जाहिल हुक़्क़ाम हो गया।।
★ ज़ालिम ने बस खेल किया था।
इश्क़ मगर बदनाम हो गया।।
★ उस ने महफ़िल नई सजा ली।
दुनिया मे कोहराम हो गया।।
★ बद पर आमादा है नादाँ।
समझ रहा है नाम हो गया।।
★ कल आएगा अख़बारों में।
वो किस्सा जो आम हो गया।।
★ अपना दिन है अपनी रातें।
अपना वक़्त ग़ुलाम हो गया।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)