#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
■ बिखर गया होगा…।।
【प्रणय प्रभात】
★ अपनी हद से गुज़र गया होगा।
दिल था छोटा सा भर गया होगा।।
★ उस की बस्ती में रोशनी कम है।
चाँद नानी के घर गया होगा।।
★ दिल सँभलता कहाँ हथेली पर?
बन के पारा बिखर गया होगा।।
★ वक़्त पर वक़्त हाथ मे आया।
वक़्त का ज़ख़्म भर गया होगा।।
★ रात ज़ालिम है जानता हूँ मैं।
मेरा साया भी डर गया होगा।।
★ पूछना उस से मेरे बारे में।
बोल देगा वो मर गया होगा।।
★ जिस्म साए को छोड़ने से रहा।
थक के ख़ुद ही ठहर गया होगा।।
★ जो नज़र से उतर चुका कब का
अब ज़हन से उतर गया होगा।।
★ वो जो दहलीज़ पे रखा है चराग़।
कोई ग़लती से धर गया होगा।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)