#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ नेकी कर दरिया में डाल।।
【प्रणय प्रभात】
ना ग़म हो ना कोई मलाल।
नेकी कर दरिया में डाल।।
भीड़ लगा पर रह तन्हा।
ज़्यादा ख़ुशफ़हमी मत पाल।।
सोच ये तुझ पे शैदा कौन?
तू तो सब पे हुआ निहाल।।
अच्छा वक़्त गुज़ार लिया।
आज बुरे लम्हों को टाल।।
बेशक़ आज उरूज़ पे हो।
आएगा इक रोज़ जवाल।।
आंसू की तासीर अलग।
हर क़तरे में एक उबाल।।
मनमाना ही करना हो।
ख़ुद तय करो हराम हलाल।।
जिसका दामन काला हो।
उस पे कोई रंग न डाल।।।
सुर्खी में आ जाएगा।
तू भी जुमला एक उछाल।।
रोज़ खड़ा होता है अब।
बेमतलब का नया बवाल।।
दुनिया देगी खाक़ जवाब।
ख़ुद ही ख़ुद से पूछ सवाल।।
बेशर्मों की बस्ती है।
तू भी कर ले मोटी खाल।।
पीछे से हमला तय है।
अपनी पीठ बना ले ढाल।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)