#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ बिन साथी बेजान सफ़र।।
【प्रणय प्रभात】
● चेहरों की पहचान सफ़र।
मत कहिए आसान सफ़र।।
● कभी तो है वरदान सफ़र।
कभी मगर हैवान सफ़र।
● बीच में मुझको रोक लिया।
कितना है शैतान सफ़र।।
● काटे कटता नहीं कभी।
बिन साथी बेजान सफ़र।।
● पूछ कभी इन राहों से।
अपना है ईमान सफ़र।।
● झील सा है ख़ामोश कभी।
कभी मगर तूफ़ान सफ़र।।
● जेब में रखना नाम पता।
मौत का है सामान सफ़र।।
● मंज़िल ज़्यादा दूर नहीं।
करता चल इंसान सफ़र।।
● सबका वज़न बताता है।
इक ऐसी मीज़ान सफ़र।।
● ज़ालिम कभी कभी लेकिन।
भोला सा नादान सफ़र।।
● चाहे कितना थक जाएं।
पंखों का अरमान सफ़र।।
● हर होनी-अनहोनी से।
रहता है अंजान सफ़र।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)