ग़ज़ल
#ग़ज़ल
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा।
जमीं इसकी गगन इसका सभी आँखों का है तारा।।
नहीं हिम्मत किसी की है उठाकर आँख जो देखे।
चटा दें धूल पल में हम कोई दुश्मन जो ललकारा।।
ये हिंदुस्तान की धरती हमें इससे मुहब्बत है।
बचाएँ लाज इसकी हम बहाकर ख़ून की धारा।।
दमक आवाज़ में इतनी पसीने दुश्मन के छूंटे।
हमारे जोश को दुनिया ने समझा और स्वीकारा।।
शहीदों को नमन करलें चलें उनकी ही राहों पर।
दी आज़ादी हमें हँसके लुटा जीवन हसीं सारा।।
कहें जयहिंद दिल से आज भारत की क़सम हमको।
रहे ऊँचा तिरंगा एक दिल में हो यही नारा।।
जवानी नव कहानी नव रवानी नव लिखेंगे हम।
बजे जग में सदा भारत फ़सानों का ही इकतारा।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना