#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ कब तलक फ़ाक़ा करे…?
【प्रणय प्रभात】
– कोई ग़ैरतमंद इसको, कब तलक भोगा करे?
अपना साया दूसरे के, पांव में सजदा करे।।
– इस तरह सच को छुपाया, उसने अपने झूठ से।
जिस तरह कोई बरहना हो, मगर पर्दा करे।।
– दीन पे क्यूं कर किसी के, मैं उठाऊं उंगलियां?
बेवफ़ा गर बेवफ़ाई, ना करे तो क्या करे??
– एक-दो दस-बीस दिन की, बात हो तो ठीक है।
दिल बिचारा पेट के संग कब तलक फ़ाक़ा करे??
– पीठ पे जो ज़ख़्म दे के, बाद में मरहम रखे।
क्या भरोसा हो अगर, वो प्यार का दावा करे??
– उम्र भर सहता रहा हूं, मैं उजालों के सितम।
किसलिए कोई अंधेरा, अब मिरा पीछा करे??
– रास्ते का ख़ार हूं मैं, उसको है फूलों की चाह।
किसलिए तक़दीर उसके, ज़ुल्म की चर्चा करे??
– दिन में भारी भीड़ है, हैं भीड़ में रुसवाइयां।
हमने ग़म से कह दिया है, रात को आया करे।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)