#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
■ अहसास नहीं होता है।।
【प्रणय प्रभात】
● वक़्त लगता है अनायास नहीं होता है।
अब तो विश्वास पे विश्वास नहीं होता है।।
● वो हुनर सच जिसे कहता है ज़माना सारा।
हो कसैला मगर बकवास नहीं होता है।।
● दर्द घटता नहीं बढ़ता है रोज़ ही लेकिन।
ये अलग बात है अहसास नहीं होता है।।
● वक़्त के साथ में बर्ताव बदल जाते हैं।
ख़ास हर हाल में अब ख़ास नहीं होता है।।
● वो भी तिनका है जिसे ज़ाफ़रान कहते हैं।
हरेक तिनका मियां घास नहीं होता है।।
● शोखियां सिर्फ़ मयस्सर हैं आशनाई को।
इश्क़ इक दीन है बिंदास नहीं होता है।।
● दूर हो कर भी कोई दूर नहीं हो पाता।
पास रहने से कोई पास नहीं होता है।।
● रूह से रूह मिलाना है वस्ल का मानी।।
जज़्ब-ए-वस्ल फ़क़त प्यास नहीं होता है।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)