ग़ज़ल
ग़ज़ल
एक भारतीय
मैं सबसे मिलता सलाम करता हूँ
दिल मुहब्बत कुरबान करता हूँ
मेरा यह दिल दरिया मुहब्बत भरा
झुक झुक कर बयान करता हूं
हर शख्स में खुदा दिखाई देता हु
खुदा समझ कर कलाम करता हूँ
अश्क देख पिघल जाता है दिल
दर्द मिटाने का इंतजाम करता हूँ।
कहीं नश्तर लगे चुभते हैं सीने में
जख्म सीने की कोशिश तमाम करता हूँ
यह जज्बा सदा देना मुझे मेरे खुदा
यहीँ फरियाद सरेआम करता हूँ।