ग़ज़ल
लगता रहा है हमेशा तुम हमारे पास हो
तुम्हें लगता हो न बेशक तुम हमारी आस हो।
पूर्व से आता है सूरज तुम दिखाई देते हमें
खिल उठता है मन ज्यों रोशनी की प्यास हो।
चांद-तारों में चमकते, फूलों में महकते बहुत
और कभी आंसू कणों में भासते तुम खास हो।
यह भी होता है कभी तुम दिखाई देते नहीं
देह हो जाती दुर्बल ज्यों जिंदगी का त्रास हो।
कायनात की हर गली में तुम मुस्काते हो बहुत
ओस के मोती चमकते जमीं पर जब घास हो।।