ग़ज़ल
आज उसका प्यार मुझको याद आया है बहुत।
उसके इस अंदाज ने मुझको रुलाया है बहुत।
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बेवजह ही रूठ जाते हो बताओ किस लिए।
मैने मजबूरी का किस्सा तो सुनाया है बहुत।
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क्या वजह है दूर हमसे हो रहे हो आजकल।
जितना हम से हो सका हम ने बुलाया है बहुत।
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देख ले चेहरे को मेरे और पढ़ ले आंख में।
मैंने बेचैनी में रातों को बिताया है बहुत।
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भूलना आसान हो तो भूल कर देखो मुझे।
मुझको तेरी याद ने अक्सर जगाया है बहुत।
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हर गलतफहमी रुकावट बन गई है राह में।
सगीर उस ने प्यार में मुझको सताया है बहुत।