ग़ज़ल
ग़ज़ल
यहां ऐसे भी हैं जिनको कभी चाहत नहीं मिलती
मिली तुमको मोहब्बत पर तुम्हें फुर्सत नहीं मिलती
किसी भी काम करने मे इक जज़्बा
ज़रुरी है
इताअत ग़र नहीं दिल में तो फिर
बरकत नहीं मिलती ..
उजाला कर रहे घर में मगर दिल में अँधेरा है .
वो घर में साथ तो रहते हैं पर आदत नहीं मिलती
कभी आंसू कभी आहें कभी बीमारियां इनकी
न जाने क्यों बुजुर्गों को कभी राहत नहीं मिलती .
नहीं तू वॊ नहीं जिसकी मेरे दिल को तमन्ना थी
वो जो तस्वीर थी उससे तेरी सूरत नहीं मिलती
दुआएं; प्यार; अच्छी परवरिश; ममता बसी जिसमें
खज़ाना मां की दौलत का जहां गुरबत नहीं मिलती
बुरा करते है जो काफिर भला उनका नही होता
ये मरते हैं वहां, इनको जहां तुर्बत नहीं मिलती..
मनीषा जोशी