गीत
नया गीत
प्रेम किया तो अंतिम पल तक साथ निभाना होगा
कठिन डगर से भी सुन साजन हमको जाना होगा..
हा हमको जाना होगा…
सोच समझकर बँधना इसमे राह कटीली इसकी.
प्रेम का चाक समर्पन माँगे माँटी गीली इसकी..
ताप सहन कर जब पकता है प्रेम तभी पावन है..
इतना निश्छल है ये जैसे आँखों का दर्पन है..
तोड़ के बंधन पग के सारे तुमको आना होगा..
प्रेम किया तो अंतिम पल तक साथ निभाना होगा
घात नहीं स्वीकार करेगा प्रेम पुनीत समझ लो
सौगंधों की ड़ोर बँधी जिससे वो रीत समझ लो…
चल पाओगे जब इस पथ पर तब तुम मुझसे जुड़ना
पग इक बार बढ़ाकर साथी फिर ना पीछे मुड़ना.
राह से फिर पीछे हटने का न कोई बहाना होगा ..
प्रेम किया तो अंतिम पल तक साथ निभाना होगा.
कोई डगर पथरीली होगी और कोई फूलों की.
ड़ोर मगर तुम थाम के रखना नेह भरे झूलों की..
अधर तुम्हारे बंसी बन मैं सज जाऊंगी साजन..
तुम मेरे अलकों से हरपल बाँध के रखना ये मन..
स्वीकार अगर ये बातें तो फिर सफ़र सुहाना होगा..
प्रेम किया तो अंतिम पल तक साथ निभाना होगा..
मनीषा जोशी मनी
ग्रेटर नोएडा