ग़ज़ल
नफरतें बोने वालों का, बुरा हश्र देर-सवेर होता है,
विस्फोट वहीं होता है, जहां बारूद का ढेर होता है।
नोंच कर खा जाने वालों का, जमाना जा चुका,यारों,
आज के युग में तो सहन करने वाला ही शेर होता है।
बरसती होंगी, लक्ष्मी की, नियामतें तेरे घर पर लेकिन,
जो दूसरों के काम आता है, बस वही कुबेर होता है ।