ग़ज़ल
रास्ते, आने-जाने में उम्र कट गई
मंज़िलों के फ़साने में उम्र कट गई,
कुछ फटे, कुछ पुराने में उम्र कट गई
चार कपड़े जुटाने में उम्र कट गई,
बात पानी की होती, तो खोदते कुआँ
प्यास दिल की बुझाने में उम्र कट गई,
भाव भरते रहे लफ्ज़ लफ्ज़ उम्रभर
शाइरी को बनाने में उम्र कट गई,
बारहा चोट खाता रहा यकीं मेरा
मतलबी इस ज़माने में उम्र कट गई,
फिर भी हो ना सका,हल सवाल हिज़्र का
ख़ुद को ख़ुद से मिलाने में उम्र कट गई,
एक पत्थर पे दिल आ गया था बेख़बर
उसको मूरत बनाने में उम्र कट गई!