ग़ज़ल
ग़ज़ल
वज़्न – 22 22 22 22 22 2
तुमने हमको पास बुलाया ग़फ़लत में
अपने दिल का राज़ सुनाया ग़फ़लत में ।
होश तुम्हें होता तो झूठा कह देते
हमको तुमने सजन बताया ग़फ़लत में ।
सह लेता हूँ बातें नीची नज़रों से
उस दिन मैंने शोर मचाया ग़फ़लत में ।
चार पैग तक होश मुझे था ख़ूब मगर
आगे मैंने पिया पिलाया ग़फ़लत में ।
हँसता हूँ तो पागल कहते हैं मुझको
वो क्या जानें दर्द छिपाया ग़फ़लत में ।
– अखिलेश वर्मा
मुरादाबाद