ग़ज़ल –
प्रीत ,पानी , पराग हौ रिश्ता
फूँक दे घर उ आग हौ रिश्ता
जोतले खेतवा कै उ लगै माटी
कभ्भो जामल स साग हौ रिश्ता
साथ रहला पै पाँख बगुला कै
जे बिगड़ जाये दाग हौ रिश्ता
कभ्भो लागै उ रोवत कुक्कुर
कभ्भो त भैरव राग हौ रिश्ता
बावफा हो त स्वर्ग लागैला
बेवफा हो त नाग हौ रिश्ता
एक सम्बन्ध “महज़” गमला हौ
फूलल फूलवा कै बाग हौ रिश्ता