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27 May 2022 · 1 min read

ग़ज़ल –

प्रीत ,पानी , पराग हौ रिश्ता
फूँक दे घर उ आग हौ रिश्ता

जोतले खेतवा कै उ लगै माटी
कभ्भो जामल स साग हौ रिश्ता

साथ रहला पै पाँख बगुला कै
जे बिगड़ जाये दाग हौ रिश्ता

कभ्भो लागै उ रोवत कुक्कुर
कभ्भो त भैरव राग हौ रिश्ता

बावफा हो त स्वर्ग लागैला
बेवफा हो त नाग हौ रिश्ता

एक सम्बन्ध “महज़” गमला हौ
फूलल फूलवा कै बाग हौ रिश्ता

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