ग़ज़ल (प्रेमक बरसै फुहार)
ग़ज़ल
प्रेमक बरसै फुहार
जेना हम भीजैत छी
अहाँक चौअनियाँ मुस्की देखी
केहेन मगन सँ हम जीबैत छी
अहाँक कारी-कारी नैन
किएक हमरा करै बेचैन
अहिं हमरदम मोन परि
हमरा की भेल ने जानि?
अहाँक सोलहो सिंगार देखी
केहेन मगन सँ हम जीबैत छी
तकैत छी केना, जेना चंदा-चकोर
हमरा करेजा मे, उठल हिलकोर
आस्ते-आस्ते बाजू, जुनि करू अहाँ शोर
लोक कनफुसकी करत, भ गेलै भोर
आब कतेक कहू अहाँ के
प्रेम अहिं सँ हम करैत छी
हमरा प्रेम के बुझहब कहिया?
अहिं लेल हम जीबैत छी
शायर- किशन कारीगर
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