ग़ज़ल
ग़ज़ल
मिट्टी को मिट्टी न कहें तो ,क्या सोने की खान कहेंगे ?
जिसके दिल में प्यार नहीं है उसको क्या इंसान कहेंगे ?
बच्चे भूखों तड़प रहे हैं , हम मंदिर में दूध चढ़ाते,
बच्चे क्या भगवान नहीं, पत्थर ही को भगवान कहेंगे ?
दान वही जो दायाँ कर से दें तो बायाँ समझ न पाए,
फिर क्या कंबल देते फोटो खिंचवाने को दान कहेंगे ?
सुनता हूं कुछ चर्चित वोटर सबसे पहले बिक जाते हैं ,
फिर चलते हैं बटन दबाने ,क्या उसको मतदान कहेंगे ?
जो सज्जन केवल झाड़ू छूकर मीडिया में छा जाते हैं ,
उनसे पूछो क्या शोहरत पाने को ही श्रमदान कहेंगे ?
जिस घर में मुर्दों के जैसे , लोग निकम्मे रहते हों,
उस घर को श्मशान नहीं तो , क्या हम एक मकान कहेंगे ?
संविदा टीचर का वेतन अनपढ़ चपरासी से कम है ,
क्या भारत में पढ़वैये भी पाते हैं सम्मान कहेंगे ?
सांसद और विधायक पेंशन पाएंगे बाकी झंखेंगे,
तब क्या ऊपर वालों का सबके ऊपर है ध्यान कहेंगे ?
जिस बस्ती में हिंदू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई में अनबन है ,
दिल से पूछो उस बस्ती को क्या हम हिंदुस्तान कहेंगे ?
हे अवधू मीलों का अन्तर है जिसकी कथनी करनी में,
क्या हम उस लबरे को उसके डर से नेक,महान कहेंगे ?