“ग़ज़ल”
सबसे छुपा के रखते हैं दिखाई नहीं जाती,
हर इक से दिल की बात बताई नही जाती
हर बज़्म में रखता हूं मैं खामोश लबों को..
चन्द लफ्जो में दिल की बात बताई नहीं जाती..
ये कैसा इश्क है और कैसी दीवानगी उनकी,
वो करते हैं मोहब्बत जिनसे निबाही नहीं जाती..
ये कैसा ताल्लुक है दिल का ज़हन के साथ..
सदियों से उनकी याद भुलाई नहीं जाती..
खामोशी से सह जाता हूँ मै जमाने भर के सितम..
बोल कर अहमियत रिश्तों की जताई नही जाती..
(#ज़ैद_बलियावी)