छंदमुक्त कविता
कभी इन्कार करता है कभी इकरार करता है
कभी प्यार करता है कभी तकरार करता है
आदमी का स्वभाव तो होता ही है ऐसा
छोटी सी जिंदगी में गलती बेशुमार करता है
जो खुद पूरा न कर पाए जीवन में अपने
वो ख्वाहिशे अपने बच्चों से उधार करता है
अंजाने में बहुत गलती होती रहती हैं हमसे
ज़माने बाद भी वो दिल को शर्मसार करता है
रात का सपना तो केवल सपना ही रहता है
नींद उड़ा के करें संघर्ष सपना साकार होता है
खुशी में खुदा कम ही याद आते हैं “नूरी”
मुश्किलें आती दिल खुदा को पुकार करता है।
नूरफातिमा खातून “नूरी,”
26/5/2020