Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

‘ज़िंदगी’

वक्त का दस्तूर कैसा ज़िंदगी।
चल बता अपना इरादा ज़िंदगी।

व्याप्त नफ़रत है दिलों में इस कदर
टूटता घर-बार पाया ज़िंदगी।

बेरहम रिश्ते यहाँ पलते रहे
पेट ने पापी बनाया ज़िंदगी।

प्रेम में सौगात जख़्मों की मिली
राह उल्फ़त ने रुलाया ज़िंदगी।

राख अरमां हो गए कब तक सहूँ
आशियां खुद का जलाया ज़िंदगी।

हौसलों को आज तक ज़िंदा रखा
अब नहीं होता गँवारा ज़िंदगी।

मौत ‘रजनी’ माँगती है ऐ खुदा!
हो गया दुश्वार जीना ज़िंदगी।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

297 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
Phool gufran
Still I Rise!
Still I Rise!
R. H. SRIDEVI
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आँचल की छाँह🙏
आँचल की छाँह🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शिमले दी राहें
शिमले दी राहें
Satish Srijan
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"कौन अपने कौन पराये"
Yogendra Chaturwedi
हिन्दी दोहा- बिषय- कौड़ी
हिन्दी दोहा- बिषय- कौड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
Dr MusafiR BaithA
इंसान से हिंदू मैं हुआ,
इंसान से हिंदू मैं हुआ,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
प्राण-प्रतिष्ठा(अयोध्या राम मन्दिर)
लक्ष्मी सिंह
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
Mukesh Kumar Sonkar
मुझे लगता था
मुझे लगता था
ruby kumari
*प्लीज और सॉरी की महिमा {हास्य-व्यंग्य}*
*प्लीज और सॉरी की महिमा {हास्य-व्यंग्य}*
Ravi Prakash
कल चमन था
कल चमन था
Neelam Sharma
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
Manisha Manjari
प्रमेय
प्रमेय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
Ekta chitrangini
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
पूर्वार्थ
"चांदनी के प्रेम में"
Dr. Kishan tandon kranti
चिड़िया रानी
चिड़िया रानी
नन्दलाल सुथार "राही"
आगे क्या !!!
आगे क्या !!!
Dr. Mahesh Kumawat
दो पाटन की चक्की
दो पाटन की चक्की
Harminder Kaur
चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी
Vedha Singh
*दादी चली गई*
*दादी चली गई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
भूल ना था
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
"खुरच डाली है मैंने ख़ुद बहुत मजबूर हो कर के।
*प्रणय प्रभात*
एतमाद नहीं करते
एतमाद नहीं करते
Dr fauzia Naseem shad
2705.*पूर्णिका*
2705.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...