ग़ज़ल
जिसके ख्वाबों में दीदार हुआ करते थे,
उसी शख्स के कभी हम कर्जदार हुआ करते थे।
प्यार की तलाश में भटक रही हो गली-गली तुम,
याद करो,तेरे प्यार के कभी हम तलबगार हुआ करते थे।
आज जिनकी ऊंची इमारतें देख जलते ही तुम,
एक वक़्त था जब वो भी छोटे दुकानदार हुआ करते थे।
आज जिनके ना होने पर, उनकी तौहीन करते हो,
अरे, बीते वक़्त के वो एक ऊंचे नाम हुआ करते थे।
किसी को भूलना हमारी फितरत नहीं,
लेकिन, मां को याद कर हम दुनियां भूल जाया करते थे।