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4 Jan 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

लिया मुख मोड़ ही सबने दिखाई देता है।
मिलें खुशियाँ तुझे मन ये दुहाई देता है।

नहीं कोई शिकायत है हमें इस बात की-
रहे सब खुश सदा दिल ये बधाई देता है।

कहे सबने कभी जो बात अपना मान कर-
वहीं अब बोल कानों में सुनाई देता है।

सितम ढाये सभी ने जो हमें मालूम है-
भला नफरत कहां किसको भलाई देता है।

बहुत मजबूर है अब तो जुदाई से सचिन-
मगर हरदम वहीं सबको सफाई देता है।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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