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30 Jan 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

यें भी इस वक्त का इशारा है।
बदल रहा वक्त अब हमारा है।

रख विश्वास उस पर -ए-बंदें !
उसने हर एक को संवारा है।

न होना निराश जीवन में कभी।
वो ही हर हारे का सहारा है।

हो खड़ा मुल्क़ की सेवा को तू।
अब तुझे मुल्क़ ने पुकारा है।

है मौका दिखा दें जोश-ए-जुनूं।
अवसर मिलता नही यें दुबारा है।

मिट भी जाए इसके लिए -ए-सुधा।
जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा है।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

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