ग़ज़ल
—–(ग़ज़ल)——
बाग में आप गर जाएँगे
फूल सारे निखर जाएँगे
छूके भौंरे तुम्हारा बदन
खुश्बू से हो के तर जाएँगे
आपके आने से दिलरुबा
ख़्वाब मेरे सँवर जाएँगे
छोड़ जाना न तन्हा कभी
बिन तुम्हारे तो मर जाएँगे
सह न पाऊँ बिछड़ने का ग़म
टूट कर हम बिखर जाएँगे
आएगी जब घड़ी आख़िरी
हम क़फन ओढ़कर जाएँगे
याद “प्रीतम” करूँ जब तुम्हें
दर्द दिल के उभर जाएँगे
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)