ग़ज़ल
ग़ज़ल
जिस्म क्या है रूह तक सब खुलासा देखियें।
आज के बालक बालिकाओं की भाषा देंखियें।
बदलतें मूल्यो संस्कारो से बिगड़ते बालक।
बदल गयें सब परिवेश;परिभाषा देंखियें।
माहौल नामाकूल उड़ रही बेंशर्मी की धूल।
बेकाबू सें हालात और हताशा देंखियें।
लाजशर्म को त्यागकर कुछ तो घर से भागकर।
डीजे बजते गली-गली नाचती सी उनपे रकासा देंखियें।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड