ग़ज़ल
—–ग़ज़ल—–
आ गया मैं तेरे ठिकाने पर
रख दिया दिल तेरे निशाने पर
अब चलाएगा कितना तीरों को
दिल हुआ ज़ख़्मी मुस्कुराने पर
नींद की भी नसीब खुल जाती
ख़्वाब में तेरे एक आने पर
उसने पर्दा तो कर लिया लेकिन
चाँद के लाख गिड़गिड़ाने पर
उनके नज़रों की गिर गई बिजली
मेरे इस दिल के आशियाने पर
झूम जाएगा दिल तुम्हारा भी
मेरे उल्फ़त के इस तराने पर
बन गया क्यों अदू जहां “प्रीतम”
आज तुमसे ये दिल लगाने पर
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)