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19 Feb 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

नदिया सूखी है पर नाव में रहता है
जाने क्यों वो इतने तनाव में रहता है
शहर की हवा उसे रास ना आएगी
वो मासूम परिंदा गांव में रहता है
दुनियां की मुसीबतें उसे छू नहीं सकती
वो तो ममता की छांव में रहता है
आजकल मेरे दिल में रहने लगा है
यूं तो वो उन्नाव में रहता है

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