ग़ज़ल
नदिया सूखी है पर नाव में रहता है
जाने क्यों वो इतने तनाव में रहता है
शहर की हवा उसे रास ना आएगी
वो मासूम परिंदा गांव में रहता है
दुनियां की मुसीबतें उसे छू नहीं सकती
वो तो ममता की छांव में रहता है
आजकल मेरे दिल में रहने लगा है
यूं तो वो उन्नाव में रहता है