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17 Dec 2016 · 1 min read

ग़ज़ल

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मेरा दिल मेरा आईना तो दिखा दे
घने सन्नाटे में आवाज़ लगा तो दे
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बात ये नहीं कि कौंन कैसा है यहाँ
मैं कहाँ हूँ मुझे मेरा पता तो दे
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चला जा रहा हूँ पर मालूम नहीं
मंज़िल है कहाँ ज़रा ये तो बता दे
———————
मन की बातें बस मन में ही हैं
इस पर हुक्म अपना चला तो दे
—————-
सागर की गहराई मैं क्या जानू
नदी का सफ़र कभी करा तो दे
——————
नहीं है मुझे मशहूरी की चाहत
हकीकत का रूप मेरा दिखा तो दे!!

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