ग़ज़ल
ताकत दुखी पर न आजमाया करो
ज्यादती बेबसों पर न ढाया करो।
दे सके रोशनी ख़ुद मिले ख़ाक में
वो शमा हसरतों की जलाया करो।
खिलखिलाता रहे नेकियों का जहां
ख्वाब यूं ज़िन्दगी के सजाया करो
झांकना सीख लो तुम गिरेबान में
उंगलियां यूं न सब पर उठाया करो।
बेक़सी बेबसी से न दुनिया चली
आस के दीप हर दम जलाया करो।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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