Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

——–ग़ज़ल——–
212-212-212–2

हिज़्र की —–रात सोने न देती
ख़्वाब कोई– –सँजोने न देती

दिल की धड़कन भी रूठी है ऐसे
सांस का बोझ ढोने —— न देती

मुझसे रूठी है -काली घटा यूँ
बारिशे इश्क़ ——–होने न देती

दुनिया दिल पर –लगाए है पहरा
बीज उल्फ़त —–के बोने न देती

इतनी ज़ालिम है वो दिलरुबा जो
दर्द देकर ———-भी रोने न देती

क्या कहूँ दिल्लग़ी की ऐ “प्रीतम”
दिन भी कोई – सलोने न देती

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

1 Like · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
Lokesh Sharma
കവിതയുടെ ജനനം
കവിതയുടെ ജനനം
Heera S
"" *अहसास तेरा* ""
सुनीलानंद महंत
अरे ! मुझसे मत पूछ
अरे ! मुझसे मत पूछ
VINOD CHAUHAN
पूनम का चांद
पूनम का चांद
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
4798.*पूर्णिका*
4798.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शीर्षक: पापी मन
शीर्षक: पापी मन
Harminder Kaur
"जीवन का सच्चा सुख"
Ajit Kumar "Karn"
मानव जीवन
मानव जीवन
*प्रणय प्रभात*
अब ना होली रंगीन होती है...
अब ना होली रंगीन होती है...
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कविता- 2- 🌸*बदलाव*🌸
कविता- 2- 🌸*बदलाव*🌸
Mahima shukla
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
gurudeenverma198
"बहनों के संग बीता बचपन"
Ekta chitrangini
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
न बोले तुम
न बोले तुम
Surinder blackpen
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
हमसफ़र बन जाए
हमसफ़र बन जाए
Pratibha Pandey
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
पूर्वार्थ
" मकड़जाल "
Dr. Kishan tandon kranti
नशा ख़राब है l
नशा ख़राब है l
Ranjeet kumar patre
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
हाजीपुर
जीवन को जीतती हैं
जीवन को जीतती हैं
Dr fauzia Naseem shad
काल  अटल संसार में,
काल अटल संसार में,
sushil sarna
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अनकहा रिश्ता (कविता)
अनकहा रिश्ता (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
Loading...