ग़ज़ल होती है
खो के सब कुछ भी मिले जो वो ग़ज़ल होती है l
नींद आंखों से उड़ा दो तो गजल होती है ll
लोग शब्दों से बयां करते जज्बातों को l
दर्द लफ़्ज़ों में जो ढालो तो ग़ज़ल होती है ll
तीर तरकश से चलेगा तो निशाना होगा l
जो निशाना खुद ही बनो तो गजल होती है ll
आने दो आने गुजर जाता ए जीवन अपना l
जेब खाली जो मिले वो तो गजल होती है ll
खून जलता हो जुबा चुप हो “सलिल” तो पक्का l
मान अपना जो बचाओ तो गजल होती है ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश l