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3 Jun 2024 · 1 min read

ग़ज़ल सगीर

मुझको छोड़कर जाने वाले,साथ अगर हो जाएगा।
कच्चा पक्का ईंट इ़मारत फिर ये घर हो जाएगा।

मेहनत मज़दूरी करके पाल रहा हूं बच्चों को।
आज अभी है नन्हा पौधा कल यह शजर¹ हो जाएगा।

आज मोहब्बत के बदले में बांट रहे जो नफ़रत को।
मैं बेघर हो जाऊंगा तो,तू बेघर हो जाएगा।

मुझको यह एहसास नहीं था तेरी मोहब्बत से पहले।
मुझको शीशा कर देगा और तू पत्थर हो जाएगा।

मुझ पर कैसी गुज़री है तुझको यह एहसास नहीं।
तू रुदादे ग़म² सुन ले तो,आंचल तर हो जायेगा।

“सगी़र” शहादत³ का दर्जा⁴ आ़ला से भी ऊ़ला⁵ है।
मुल्क के खा़तिर सर जो कटे वो ऊंचा सर हो जाएगा।

शब्दार्थ

1 वृक्ष/ पेड़
2 मार्मिक कथा,दुख भरी कहानी
3 बलिदान
4 श्रेणी,श्रेष्ठता क्रम
5 उच्च से उच्चतम
शायर
Dr सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच

2 Likes · 97 Views
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