ग़ज़ल सगीर
हम हिंदी भाषी बने आओ ले संकल्प।
हिंदी के समतुल्य में, नही कोई विकल्प ।
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अन्य सभी भाषा पढ़ें और बने विद्वान।
हिंदी यदि आती नहीं, तो समझो है अपमान।
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अपनी भाषा तुम पढ़ो, सब भाषा की मूल।
अपनी भाषा छोड़ने का करना ना तुम भूल।
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हिंदी भाषा को पढ़ो हिंदी है आसान।
विश्व पटल पर हो रहा है हिंदी का गुणगान।
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अंग्रेजी संस्कृत पढ़ो उर्दू का लो ज्ञान।
निज भाषा हिंदी मेरी करना मत अपमान।
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सूर कबीर तुलसी मीरा दिनकर या रसखान।
जयशंकर हों हरिश्चंद्र सब ने बढ़ाया मान।
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हिंदी भाषा का करें मिलकर सब सम्मान।
तुलसी कालिदास भी पढ़कर बने महान।
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हिंदी भाषा पढ़ो लिखो, करो पत्र व्यवहार।
निज भाषा के प्रेम का,है हिंदी संस्कार।
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हिंदी भाषा राष्ट्र की दुनिया में पहचान।
हिंदी माध्यम से पढ़कर भी हो सकते हो महान।
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सब भाषाएं तुम पढ़ो हिंदी सब की मूल।
भारत का यह भाल है इसे न जाना भूल।
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“सगीर” मिलकर सब करें हिंदी का सम्मान।
हिंदी सब का मूल है इसका रखना ध्यान।