ग़ज़ल : वो मेरा साया है……
ग़ज़ल / दिनेश एल० “जैहिंद”
अलग नहीं मुझसे वो मेरा साया है ।
मैं आधा वो आधा हम इक काया हैं ।।
तू बायाँ मैं दायां दोनों इक तन हैं,,
जाने दुनिया सारी रब की माया है ।।
मैं तुझमें तू मुझमें हम हैं इकरूपा,,
हम दोनों का दिल दूजे पे आया है ।।
“जैहिंद” अचम्भित ऐसा रब का जादू,,
क्या जादू तुमने और कहीं पाया है ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
25. 04. 2017