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14 Oct 2021 · 1 min read

ग़ज़ल – राना लिधौरी

ग़ज़ल – सुनवाई नहीं है

सूरत तो उसने ऐसी, बनाई नहीं है।
क्योंआज के दौर में, अच्छाई नहीं है।।

कैसे ये कह दूं के कोई साथ नहीं है।
हो पास मेरे तुम तो तन्हाई नहीं है।।

ख़ामोशी को ये मिरी कमज़ोरी न समझो।
ताक़त तो अभी हमने दिखाई नहीं हैं।।

बदमाश तो रहते है गलतफहमी में।
अंत में तो उनकी सुनवाई नहीं है।।

तन पर तो उनके देखो खादी सफेद है।
मन में तो उनके सफाई नहीं है।।

देखकर मदहोश तुम हो जाओगे राना’
झलक उसने अब तक दिखाई नहीं हैं।।
***

© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”, टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-45,पेज-53 से साभार

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