ग़ज़ल रचनाएँ
तुझको ही बस तुझको सोचू इतना तो कर सकती हूँ,,,,,,,,,
तेरे ग़म को अपना समझू इतना तो कर सकती हूँ ।।।।।।।।।।
मुझको क्या मालूम मुहब्बत कैसे करती है दुनिया,,,,,,,
हद से ज्यादा तुझको सोचू इतना तो कर सकती हूँ ।।।।।।।।।
इस दिन को तू मेरे सजना इतना तो ह़क दे देना,,,,,,,,,,,,
छलनी में से तुझको देखू इतना तो कर सकती हूँ ।।।।।।।।।
आज मुबारक वो दिन आया सामने मेरा साजन है,,,,,,,,,,
तेरे ग़म के आँसू पी लू इतना तो कर सकती हूँ ।।।।।।।।।।।
दो-दो चन्दा मेरे आगे आज खुशी का दिन है ये,,,,,,,,,,,
इक पल में ही सदियाँ जी लू इतना तो कर सकती हूँ ।।।।।।।।।।