ग़ज़ल- तुम्हारी पहचान होंगे
ग़ज़ल-तुम्हारी पहचान होगें –
कभी तो मुझ पर मिहिरवान होगें।
परेशान सुनकर परेशान होगें।।
किये काम रहकर जो दुनिया में अच्छे।
वही तो तुम्हारी ही पहचान होगें।।
उतर आया हो चांद जैसे जमीं पर।
सभी देखकर उनको हैंरान होगे।।
सबको तू हंसकर गले से लगा ले।
चंद दिनों के सब मेहमान होगें।।
जब भी तुम उनके दर पर रहोगे।
‘राना’ हर दिन फिर रमज़ान होगे।।
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़*
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com