ग़ज़ल : ( बारिश का मौसम )
ग़ज़ल : ( बारिश का मौसम )
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असर ये बारिश का मेरा दिल ही मचल जाए ।
धरती की हरियाली देख मन ही बहल जाए ।।
घनघोर सी काली बदली मेरे मन को भाए ।
बिजली की कड़क सुनके तो दिल ही दहल जाए।।
लहलहाते फसल देख कृषक फूले नहीं समाए ।
झूमते गाते वो , कहीं वक्त ही ना निकल जाए ।।
नन्हे – मुन्ने उछल कूद कर कितना शोर मचाए ।
इस मौसम में उनके तो मिज़ाज ही बदल जाए ।।
सुनो ‘अजित’ कल जो ये बारिश का मौसम जाए।
प्रकृति प्रेमी विकल होके जल्द कैसे सॅंभल जाए।।
__ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 08-06-2021.
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