ग़ज़ल :–पेट भरता कभी दिल्लगी से नहीं !!
ग़ज़ल :– पेट भरता कभी दिल्लगी से नहीं !!
चाँद में दाग , कहते यकीं से नहीं !
बात बनती हमारी जमीं से नहीं !!
रूबरू जब से मैं तुमसे हुआ हूँ !
शिकायत मुझे जिंदगी से नहीं !!
मिलने-मिलाने के मौशम जवां है !
तुम आओ मगर बेबसी से नहीं !!
जाना मगर , तुम थोड़ी देर ठहरो !
पेट भरता कभी दिल्लगी से नहीं !!
हुस्न जमकर लुटाओ यहाँ आज !
अब शर्म-ओ-हया रोशनी से नहीं !!