Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2017 · 1 min read

ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं)

जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं
अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं

वह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं
जब हकीकत हम उनको समझाने लगते हैं

जिस गलती पर हमको वह समझाने लगते है
वही गलती को फिर वह दोहराने लगते हैं

आज दर्द खिंच कर मेरे पास आने लगतें हैं
शायद दर्द से मेरे रिश्ते पुराने लगतें हैं

दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं
मदन दुश्मन आज सारे जाने पहचाने लगते हैं

ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं)
मदन मोहन सक्सेना

303 Views

You may also like these posts

सच्चे लोग सागर से गहरे व शांत होते हैं!
सच्चे लोग सागर से गहरे व शांत होते हैं!
Ajit Kumar "Karn"
4. The Ultimate
4. The Ultimate
Santosh Khanna (world record holder)
कुछ तो मजबूरी रही होगी...
कुछ तो मजबूरी रही होगी...
TAMANNA BILASPURI
মৃত্যু তেমন সত্য
মৃত্যু তেমন সত্য
Arghyadeep Chakraborty
सहनशीलता
सहनशीलता
Sudhir srivastava
"गुलामगिरी"
Dr. Kishan tandon kranti
झुर्रियों तक इश्क़
झुर्रियों तक इश्क़
Surinder blackpen
पदावली
पदावली
seema sharma
जल संरक्षरण है अपना कर्तव्य
जल संरक्षरण है अपना कर्तव्य
Buddha Prakash
- अगर ना होता पेट तो ना होती किसी से भी भेट -
- अगर ना होता पेट तो ना होती किसी से भी भेट -
bharat gehlot
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
AJAY AMITABH SUMAN
दोस्ती अपनेपन का अहसास
दोस्ती अपनेपन का अहसास
Rekha khichi
3725.💐 *पूर्णिका* 💐
3725.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ख्वाब कैसे कोई मुकम्मल हो,
ख्वाब कैसे कोई मुकम्मल हो,
Dr fauzia Naseem shad
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
नज़र भर देखने के लिए चेहरा छिपाना पड़ता है,
नज़र भर देखने के लिए चेहरा छिपाना पड़ता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Stay grounded
Stay grounded
Bidyadhar Mantry
#महाभारत
#महाभारत
*प्रणय*
नारी शक्ति
नारी शक्ति
Rajesh Kumar Kaurav
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
Sunil Gupta
धवल दीक्षित (मुक्तक)
धवल दीक्षित (मुक्तक)
Ravi Prakash
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
Abhishek Soni
कोई तो है
कोई तो है
ruby kumari
डॉ0 रामबली मिश्र:व्यक्तित्व एवं कृतित्व
डॉ0 रामबली मिश्र:व्यक्तित्व एवं कृतित्व
Rambali Mishra
चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
Shubham Pandey (S P)
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
Rituraj shivem verma
शाम, छत और लड़की
शाम, छत और लड़की
Shekhar Chandra Mitra
ये खेत
ये खेत
Lekh Raj Chauhan
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
Shweta Soni
सबसे बड़ा दुख
सबसे बड़ा दुख
डॉ. एकान्त नेगी
Loading...