ग़ज़ल :– दुनियाँ बसाओं तो तुम्हें जानें !!
ग़ज़ल :– दुनियाँ बसाओ तो तुम्हे जानें !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”
मेरे अरमान के गुलशन सजाओ तो तुम्हे जानें !
बेशक प्यार की रस्में निभाओ तो तुम्हें जानें !!
यहाँ बर्बाद हो कर भी मेरे अहसास जिंदा हैं !
मेरे अहसास की दुनियाँ बसाओ तो तुम्हें जानें !!
ज़रूरत है तुम्हें मेरी मुझको भी ज़रूरत है !
ज़माना छोड़ कर मेरे पास आओ तो तुम्हें जानें !!
तुम्हारे प्यार की बातें हमें हरदम लुभाती हैं !
ज़रा हमदम हमें अपना बनाओ तो तुम्हें जाने !!
चहरे पे छिपे चहरे यहाँ अक्सर रूलाते हैं !
चहरे से ज़रा घूंघट हटाओ तो तुम्हें जानें !!