ग़ज़ल :– दिलों का दर्द है ऐसा !!
ग़ज़ल :– दिलों का दर्द है ऐसा !!
गजलकार :– अनुज तिवारी “इन्दवार”
दिलों का दर्द है ऐसा जताने मे मजा आता ।
छिपाने का मजा अपना बताने मे मजा आता ।
भरे इन जख्म मे अपना कोई मरहम लगा जाये !
ऐसे जख्म की पीडा उठाने मे मजा आता ।
दिलों के दर्द को अपना समझे वही हमदम ।
दिलवर उसे अपना बनाने मे मजा आता ।
कहीं जब भूल वस अपनी अपना रूठ जाए तो ।
लुभाने का मजा अपना रिझाने मे मजा आता ।
लगे अब प्यार करने मे तराने दर्द के मीठे ।
जब गम हों जुदाई के महखाने मे मजा आता ।