ग़ज़ल :– तेरे सीने से लिपट कर सोने में सुकून मिलता है !!
ग़ज़ल :– तेरे सीने से लिपट कर सोने में सुकून मिलता है !!
तेरे सीने से लिपट कर सोने में सुकून मिलता है !
एक मैदान-ए-जंग मे फतेह होने से सुकून मिलता है !!
सुकून नही मिलता लाखों की दौलत पाने से भी !
एक लम्हा तेरे संग खोने पे सुकून मिलता है !!
ख्वनाहिशें ना रही अब ख्वाबों के खजाने मे !
तेरी यादो के हर पल संजोने मे सुकून मिलता है !!
तेरे हुस्न पे हुजूर-ए-हुक्म भी कुर्बान कर दूँ !
गर न कर पाया तो रोने पे सुकून मिलता है !!
बन्दिशे नही , वल्कि जिन्दगी है तेरी बन्दगी करना !
बन्दगी कि बारिश मे खुद को भिगोने पर सुकून मिलता है !!
तेरी यादो ने अब अश्को का सैलाब भर दिया !
उस सैलाब मे खुद को डुबोने पर सुकून मिलता है !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”