@ग़ज़ल:- ..
मत दिखाओ आंखें अपनी असलियत तो पूछ लो।
जाओ बेटा घर में अपनी हेसियत तो पूछ लो।।
जिनके दम पर हो फुदकते ले रहे किलकारियां।
अपने आकाओं से उनकी खैरियत तो पूछ लो।।
ले मसालें हाथ में जो ख़ोजते हैं शम्स को।
जुगनुओं से आप उनकी हैसियत तो पूछ लो।।
साहिबे मशनद यहां सौगात लेकर आए हैं।
दर पे आने की ज़रा अब माहियत तो पूछ लो।।
✍ अरविंद राजपूत ‘कल्प’
माहियत:- असली और अंदर की बात
कैफियत:- हालचाल