ग़ज़ल :– जब तक हिम्मत है हार नहीँ मानूंगा !!
ग़ज़ल :– जब तक हिम्मत है हार नहीं मानूंगा !!
इक वार तो क्या ….सौ वार नहीं मानूंगा
जबतक हिम्मत है मै हार नहीं मानूँग!!
गिरूं चाहे हर वार सम्हलना भी मुश्किल हो !
अपनी कोशिश को बेकार नही मानूंगा !!
दुनियां चाहे तो मुझको सौ बार मिटादे !
कभी इरादों से अपने प्रतिकार नही मानूंगा !!
भवन बनाती बुनियादें छोटे-छोटे पत्थर की !
ठोकर को अमिट प्रयासों की मार नहीं मानूंगा !!
मैखाने में बेख़ुद होकर लोग पड़े रहते हैं !
कहलें कुछ भी लोग उसे घर-बार नहीं मानूंगा !!
गज़लकार :– अनुज तिवारी “इन्दवार”