ग़ज़ल : ( किसने सोचा था…. )
ग़ज़ल : ( किसने सोचा था…. )
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””
किसने सोचा था कि देश का ऐसा बुरा हाल होगा।
कोरोना से हर ज़िंदगी यहाॅं इतना बदहाल होगा ।।
यहाॅं से वापस जाने का यह नाम ही नहीं ले रहा ।
ये जो आया इस जमीं पर इसमें कोई चाल होगा।।
कितने सारे लोगों की अमन-चैन छीनी है इसने ।
कोई गर रास्ता बता दे तो बड़ा ही कमाल होगा ।।
दूसरी लहर ने तो सरकार की कमर ही तोड़ दी ।
तीसरी लहर जो आ गई तो बड़ा भूचाल होगा ।।
विनती कर रहा ‘अजित’ कोई भी हल्के में ना लें इसे।
पहिले से संभल के रहें सब तो फल बेमिसाल होगा ।।
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १२/०६/२०२१.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????