ग़ज़ल- उसे अपने दिल की सुनाता नहीं मैं
ग़ज़ल- उसे अपने दिल की सुनाता नहीं मैं
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उसे अपने दिल की सुनाता नहीं मैं
कि पत्थर पे आँसू बहाता नहीं मैं
हूँ मैं ही वजह उसके सारे दुखों का
यही सोचकर मुँह दिखाता नहीं मैं
वो रूठा है जबसे, सुकूं ही सुकूं है
दिगर बात है मुस्कुराता नहीं मैं
नज़र में बसाना नज़र से गिराना
क्या उसको समझ में ही आता नहीं मैं
है “आकाश” कुछ तो सितमगर की खूबी
तभी तो उसे भूल पाता नहीं मैं
– आकाश महेशपुरी