ग़ज़ल- आँखें बता रहीं हैं…
ग़ज़ल- आँखें बता रहीं हैं…
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आँखें बता रहीं हैं कि इनकार है नहीं
शायद लबों ने झूठ कहा प्यार है नहीं
दिल हारने का भी सुनों अपना ही है मज़ा
दिल हारने का अर्थ कोई हार है नहीं
जब भी पढ़ोगे मस्तियों में डूब जाओगे
ये है ग़ज़ल मेरी, कोई अखबार है नहीं
मैंने ये दिल दिया है यही सोचकर तुझे
तुमने कहा था प्यार ये व्यापार है नहीं
जब भी गिरा लोगों ने बहुत हौसला दिया
कैसे कहूँ कि कोई मददगार है नहीं
तेरी हँसी ‘आकाश’ मेरे दिल की है दवा
अब दिल दवाईयों का तलबगार है नहीं
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 02/12/2019